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यह सबसे महत्वपूर्ण अवधि है, जिसके दौरान सभी को आयुर्वेद द्वारा बनाए गए विशिष्ट नियमो का पालन करना चाहिए। सोलह से चालीस के बीच के लोगों को स्वस्थ आहार और जीवन शैली का पालन करना चाहिए। युवावस्था में आयुर्वेद का पालन करना क्यों महत्वपूर्ण है? आयुर्वेद न केवल आपको बीमारियों से बचने में मदद करता है, बल्कि जब आप बूढ़े हो जाते हैं तो यह आपकी ताकत और रोग प्रतिरोधक शक्ति को भी बढ़ाता है। इसलिए लंबा और स्वस्थ जीवन जीने के लिए आपको अनिवार्य रूप से आयुर्वेदिक सिद्धांतों का पालन करना होगा।

दोष आयुर्वेद के मूल तत्व हैं, और उनका संतुलन महत्वपूर्ण है क्योंकि असंतुलित दोष कई बीमारियों का कारण बन सकते है । संतुलित आहार आपके पित्त दोष की मदद से आसानी से पच जाता है, और आसान पाचन से सभी धातुओं (ऊतकों) को एक अच्छा पोषण मिलता है।

जब खाने की बात आती है तो खाने का सही समय महत्वपूर्ण होता है। इस तथ्य के बावजूद कि आयुर्वेद दिन में तीन बार भोजन करने की सलाह नही देता है, अब हल्का नाश्ता करना आवश्यक है। आपको कुछ हल्का और आसानी से पचने वाला भोजन खाना चाहिए क्योंकि सुबह और शाम को आपकी अग्नि कमजोर होती है। दोपहर के समय अच्छा और पोषक तत्वों से भरपूर भोजन करना चाहिए। जंक खाद्य पदार्थ खाने से बचें। अपने आहार में सभी छह स्वादों को शामिल करें।

विरुद्ध खाद्य पदार्थों के संयोजन से बचें, जैसे मछली और दूध, केला और दूध, या शहद और गर्म पानी। इसे विरुद्ध अहार के नाम से जाना जाता है। गर्म चाय या गर्म खाद्य पदार्थ का सेवन करने के बाद ठंडे तरल पदार्थ पीने या ठंडी चीजें खाने से बचें। मौसम के अनुसार खान-पान में बदलाव लाएं। बेमौसमी उत्पादों के स्थान पर केवल मौसमी उत्पादों का ही सेवन करें। सलाद और अन्य कच्चे खाद्य पदार्थ जो आपके पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचा सकते हैं, उनके बजाय ठीक से पका हुआ खाना खाएं 

बॉडी बिल्डिंग पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, अपने शरीर को स्वस्थ रखने पर ध्यान दें। तीव्र व्यायाम से बचें क्योंकि यह आपके दिल पर दबाव डाल सकता है और इसे गंभीर रूप से नुकसान पहुंच सकता है। इसके बजाय, कुछ हल्के व्यायाम, योग और ध्यान में संलग्न हों।

ऋतुचार्य और दिनचार्य का पालन करें। अपनी प्रकृति और मौसम के अनुसार अपने आहार और जीवन शैली को बदले। पंचकर्म उपचार अपनाए। लंबा और स्वस्थ जीवन जीने के लिए किसी आयुर्वेद चिकित्सक से बात करें।