कामधेनु पुष्यानुग चूर्ण एक आयुर्वेदिक उत्पाद हैं , आयुर्वेद में पुष्यानुग चूर्ण को बेहद फायदेमंद बताया गया है, आयुर्वेद में इस चूर्ण का उपयोग कई रोगो को दूर करने के लिए किया जाता हैं ,तो आइये जानते हैं इसके बारे में -
कामधेनु पुष्यानुग चूर्ण के घटक-
कामधेनु पुष्यानुग चूर्ण पाठा, जामुन की गुठली की गिरी, रसौत,आम की गुठली की गिरी, पाषाणभेद, लोध्र,अम्बष्ठा, मोचरस, मंजीठ, कमलकेसर, मुलेठी,नागकेशर, अतीस, नागरमोथा, बेलगिरी, गेरु,कायफल, काली मिर्च, मन्नुका, लालचन्दन,सोना पाठा ( की छाल, इन्द्रजो, अनन्तमुल,धाय के फुल, सौंठ, अर्जून के छाल प्रत्येक 1, आदि से मिलाकर विधिपूर्वक बनाया जाता हैं।
कामधेनु पुष्यानुग चूर्ण के फायदे और प्रयोग करने का तरीका -
कामधेनु पुष्यानुग चूर्ण यह योनि रोग, योनिदाह, सब प्रकार के प्रदर, योनिक्षत, बादी (वातकारक उत्पन्न रोग), खुनी बवासीर (मलत्याग करते समय खून), कृमि (एक संक्रामक रोग), व खुनी आंव (आंत में होने वाला संक्रमण है) आदि रोग दूर करता हैं। यह योनि रोग और पीरियड्स से सम्बंधित रोगों की अच्छी दवा है। यह दवा स्त्री रोगों की काफी फायदेमंद दवा है। यह सूजन और दर्द में आराम देती है। यह रक्त बहने के विकारों में अच्छा प्रभाव दिखाती है। एंव गुप्त रोगों का नाश करता हैं !
कामधेनु पुष्यानुग चूर्ण 6 ग्राम से 12 ग्राम दुध या पानी से दिन में तीन बार सेवन करे ।
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