सूर्य नमस्कार आसन बारह प्रकार के आसन से मिलकर बना है। योगासन में इसे सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इसे स्त्री, पुरुष, बालक और वृद्ध सभी कर सकते हैं। इसमें कोई भी मुश्किल आसन शामिल नहीं है। फिर भी यह शारीरिक और मानसिक रूप से शरीर को सम्पूर्ण स्वास्थ्य प्रदान करता है। सूर्य नमस्कार आसन करते समय साँस लेने और छोड़ने का तरीका सही होना चाहिए। यहाँ आसन के समय कब साँस लेनी है और कब छोड़नी है यह भी बताया गया है। सूर्य नमस्कार आसन सुबह खाली पेट करना चाहिये। इसके बाद दस मिनट शवासन करके विश्राम करना चाहिए।
किसी भी प्रकार की शारीरिक समस्या विशेषकर स्लिप डिस्क, सर्वाइकल या ब्लड प्रेशर की समस्या से ग्रस्त हों तो कोई भी आसन चिकित्सक से परामर्श के बाद ही करना चाहिए।
सूर्य नमस्कार आसन करने का तरीका
- प्रणामासन – योगा मेट या दरी बिछाकर उस पर पूर्व की तरफ मुंह करके खड़े हो जाएँ। दोनों पैरों पर समान वजन होना चाहिए। कंधे ढीले छोड़ें। साँस अंदर भरते हुए दोनों हाथ नमस्कार की मुद्रा में उठाएं। जब हथेलियाँ मिलाएं तो साँस बाहर छोड़ दें।
- हस्त उत्तानासन – साँस अन्दर भरते हुए दोनों हाथ ऊपर उठाकर सीधे करें। फिर कमर से थोड़ा पीछे की ओर झुकें। हथेलियाँ खुली हुई सामने की तरफ रखें।
- हस्तपादासन – साँस बाहर निकालते हुए सामने की तरफ झुकें। घुटने नहीं मुड़ें, पैर बिल्कुल सीधे रखें। हाथों को सीधे रखते हुए जमीन छूने की कोशिश करें। जोर बिल्कुल न लगाएं।
- अश्व संचालनासन – साँस अन्दर भरते हुए बायाँ पैर जितना हो सके पीछे ले जाएँ। दायाँ पैर घुटने से मुड़ा रहेगा। दोनों हथेलियाँ दायें पैर के पास टिकी रहेंगी। अब गर्दन को ऊपर उठाने व ऊपर देखने की कोशिश करें।
- दण्डासन – साँस बाहर निकालते हुए दायाँ पैर भी पीछे ले जाकर सीधा कर लें। हथेलियाँ जमीन पर टिकी रहेंगी। शरीर सीधा रखें।
- अष्टांग नमस्कार – साँस अंदर भरते हुए साष्टांग दंडवत करें। पहले घुटने जमीन से लगाएँ, फिर छाती और ठोड़ी जमीन से छुएँ। नितम्ब ऊपर उठाएँ।
- भुजंगासन – हथेलियाँ जमीन पर टिकी रहेंगी। साँस अंदर भरते हुए कमर से शरीर को मोड़ते हुए छाती और गर्दन ऊपर उठाएँ।
- अधोमुख श्वानासन – साँस बाहर निकालते हुए नितम्ब ऊपर उठाएँ। हथेलियाँ जमीन पर रखें। एड़ी को जमीन से छूने की कोशिश करें। उल्टे V जैसी आकृति बनाने का प्रयास करें।
- अश्व संचालनासन – साँस अंदर भरते हुए चौथे स्टेप जैसी मुद्रा फिर बनाएं, लेकिन अब दायाँ पैर पीछे ले जाएँ और बायाँ पैर घुटने से मोड़ें।
- हस्तपादासन – तीसरा स्टेप दोहराएं। साँस बाहर निकालते हुए नाक को घुटने से लगाने की कोशिश करें।
- हस्त उत्तानासन – दूसरा स्टेप फिर करें। साँस अंदर लेते हुए दोनों हाथ ऊपर करके पीछे की तरफ झुकें।
- प्रणामासन – साँस बाहर निकालते हुए दोनों हाथ जोड़कर सामान्य नमस्कार मुद्रा में आ जाएं। शरीर को आराम दें।
इस प्रकार सूर्य नमस्कार का 12 आसन का एक समूह पूरा होता है। अगला समूह इसी प्रकार दोहराएं लेकिन चौथे स्टेप में पहले बायें पैर की बजाय दायाँ पैर पीछे ले जाएँ और 10वें स्टेप में दायें पैर की बजाय बायाँ पैर। इस तरह एक आवृत्ति पूर्ण हो जाती है।
सूर्य नमस्कार आसन से लाभ
- सूर्य नमस्कार आसन करने से पूरा शरीर स्वस्थ होता है।
- इसे करने से ह्रदय और रक्त शिराओं को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है।
- तंत्रिका तंत्र को शक्ति मिलती है।
- मांसपेशियाँ लचीली और सशक्त बनती हैं।
- हाथ-पैरों का दर्द दूर होता है।
- वजन कम करने में सहायक है।
- त्वचा रोग मिट जाते हैं।
- पाचन तंत्र की क्रियाशीलता बढ़ती है।
- तनाव कम होता है।
- आलस्य और अधिक नींद की समस्या मिट जाती है।
- प्रतिरोधक क्षमता में सुधार होता है।
- शरीर हल्का और स्फूर्तिदायक बनता है।
- सम्पूर्ण शरीर स्वस्थ रहता है।
अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें।
