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शतावरी के अद्भुत फायदे और उपयोग

शतावरी का सेवन बहुत ही उपयोगी है। यह सम्पूर्ण भारत में क्लाइंबर की तरह जंगल के क्षेत्रों में पाई जाती है। कई घरों और निजी खेती में भी शतावरी का पौधा पाया जाता है। इस पौधे की जड़ अपने आप में अनेक औषधीय गुण लिए हुए है। यह एक टॉनिक होने के साथ-साथ आंतरिक शोथ का शामक कर विशिष्ट अंगों को लंबे समय तक स्वस्थ रखती है। इस औषधि के सेवन से यकृत, पित्ताशय, पेट और अन्य अंगों की आंतरिक परत पर उपशामक असर होता है। इसलिए यह औषधि शोथ का निवारण करने में भी सक्षम है।

शतावरी के औषधीय गुण

विश्व के कई क्षेत्रों में इस औषधि का प्रयोग घाव की सफाई के लिए किया जाता है। शतावरी फेफड़ों में जलन और इनमें दमा जैसी दिक्कत से आई तकलीफ को शांत करने में भी सहायक है।

सेक्स पावर और फर्टिलिटी में लाभकारी

सेक्स पावर बढ़ाने में शतावरी काफी फायदेमंद है और फर्टिलिटी से जुड़ी परेशानियों से भी मुक्ति मिलती है।

पित्त विकार में उपयोगी

यदि पित्त के बढ़ने से शरीर में, विशेषकर रक्त या रसों में यह तकलीफ उत्पन्न हुई हो तो शतावरी का प्रयोग अत्यंत सहायक है।

स्नायु तंत्र और मानसिक स्वास्थ्य

यह मस्तिष्क के स्नायु तंत्र की नसों को भी आराम और पोषण प्रदान करती है। शरीर में जकड़न, दर्द, अनिद्रा, मानसिक तनाव एवं वातज विकृति से उत्पन्न समस्याओं को भी शतावरी के सेवन से लाभ मिलता है।

ओजस निर्माण और प्रतिरक्षा शक्ति

शतावरी से ओजस का निर्माण होता है जो शरीर, मन और बुद्धि को ऊर्जा प्रदान करता है। यह रोग प्रतिकारक क्षमता को बढ़ाने में भी सहायक है। वास्तव में यह औषधि एक रसायन है जो शरीर को हर प्रकार से पुष्टि प्रदान करती है।

महिलाओं के स्वास्थ्य में शतावरी के फायदे

मासिक धर्म के शुरू होने से लेकर उसके समाप्त हो जाने तक शतावरी के औषधीय गुण महिलाओं को लाभ देते हैं। प्रेग्नेंसी में शतावरी काफी फायदा देती है। यह गर्भवती महिलाओं में दूध की वृद्धि करती है और गर्भाशय के स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करती है।

पुरुषों के लिए लाभकारी

पुरुषों में भी रसों को बढ़ाने में शतावरी सहायता करती है तथा इससे शुक्राणुओं की संख्या और शक्ति दोनों में वृद्धि पाई जाती है।

सेवन का तरीका

शतावरी की जड़ को सुखाकर उसका चूर्ण बनाकर सेवन किया जाता है। शतावरी से बना औषधीय घृत भी निर्मित किया जाता है जिससे इसकी औषधीय क्षमता का भरपूर फायदा सेवनकर्ता को मिलता है। इसे दूध और घी के साथ लेना चाहिए। यह अश्वगंधा के साथ लेने से महिलाओं को बहुत लाभ देती है और दूध के साथ दोनों का सेवन करने से स्वास्थ्य में सुधार होता है।

संतानोत्पत्ति और योगाभ्यास में लाभ

विशेषज्ञों के अनुसार, संतान उत्पत्ति से पहले कम-से-कम चार साल तक नियमित रूप से शतावरी, अश्वगंधा और हल्दी का बराबर मात्रा में सेवन करने के बाद ही वास्तव में एक स्वस्थ संतान को जन्म देने के लिए स्त्री का शरीर तैयार होता है। साथ ही योगाभ्यास जारी रहे तो यह सर्वोत्तम स्थिति है।

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