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कामधेनु सितोपलादि चूर्ण एक आयुर्वेदिक उत्पाद हैं , आयुर्वेद में सितोपलादि चूर्ण को बेहद फायदेमंद बताया गया है, आयुर्वेद में इस चूर्ण का उपयोग कई रोगो को दूर करने के लिए किया जाता हैं ,तो आइये जानते हैं इसके बारे में -

कामधेनु सितोपलादि चूर्ण के घटक-

मिश्री 192, वंशलोचन 96, पीपर 48, दालचीनी 12, छोटी इलायची 24, आदि से मिलाकर विधिपूर्वक बनाया जाता हैं।

कामधेनु सितोपलादि चूर्ण के फायदे और प्रयोग करने का तरीका -

कामधेनु सितोपलादि चूर्ण यह श्वास, कास, क्षय रोग (एमटीबी या टीबी का लघु रूप), जिहृा की अकडन, अरोचकता(रुचि या दिलचस्पी), मन्दाग्नि पार्श्वशूल, ज्वर (बुखार), उर्ध्वग, हाथ पैर व असफलक के दाह आदि रोग दूर करता हैं! यह पाचन और इम्यून सिस्टम को संतुलित करने का काम करता है, ऊपरी श्वास के बंद होने और ब्रोन्कियल स्थितियों के लिए सितोपलादि चूर्ण सबसे अधिक फायदेमंद है। गले की खराश को दूर करने के उपाय के रूप में सितोपलादि चूर्ण बहुत ही कारगर है। सितोपलादि चूर्ण सांस की नलियों की सूजन, इंफेक्शन और बलगम के उत्पादन को कम करने में आपकी मदद कर सकता है। गीली खांसी या कफ वाली खांसी में फेफड़ों में बलगम जम जाता है। ऐसे में सितोपलादि का एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण कफ को पिघला देता है और इसे बाहर निकालने में मदद करता है।

कामधेनु सितोपलादि चूर्ण को 6 ग्राम से 12 ग्राम दुध या पानी से दिन में दो बार सेवन करे ।

https://kamdhenulaboratories.com/

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