हिंग्वाष्टक चूर्ण अजीर्ण, अपच और गैस की समस्या में एक रामबाण आयुर्वेदिक औषधि है। ज्यादातर रोग पेट के रास्ते ही पनपते हैं। अगर पेट को स्वस्थ रखा जाए तो हम बहुत से रोगों से बच सकते हैं। ज्यादा भोजन करने और गरिष्ठ भोजन करने से खाना समय पर पच नहीं पाता और अजीर्ण हो जाता है। इस अनियमित एवं अनुचित आहार-विहार के कारण जो व्याधियां पैदा होकर शरीर को रोगी बना देती हैं, उनमें से एक व्याधि है अपच यानी मन्दाग्नि होना, जिससे खाया हुआ ठीक से पचता नहीं और जब ठीक से पचता नहीं तो भूख भी नहीं लगती। इसका परिणाम होता है शारीरिक कमजोरी, दुबलापन, कब्ज, गैस ट्रबल जैसी शिकायतें पैदा होना। इन व्याधियों को दूर करने वाला एक उत्तम आयुर्वेदिक योग हिंग्वाष्टक चूर्ण का परिचय प्रस्तुत है।
हिंग्वाष्टक चूर्ण के घटक द्रव्य
हींग, अम्लबेत, पीपल, काला नमक, यवक्षार, अजवायन, हरड़, सेंधा नमक आदि को विधानपूर्वक प्रोसेस करके बनाया जाता है।
हिंग्वाष्टक चूर्ण के फायदे
गैस ट्रबल, पेट फूलना, गैस न निकलना आदि शिकायतों को दूर करने के लिए हिंग्वष्टक चूर्ण का सेवन गर्म पानी के साथ करना चाहिए।
पेट दर्द और गैस की समस्या में हिंग्वाष्टक चूर्ण का उपयोग करना चाहिए क्योंकि हिंग्वाष्टक आंत में रुकी हुई वायु को बाहर निकालती है जिससे गैस के कारण होने वाले पेट दर्द में चमत्कारिक लाभ मिलता है।
इसे गरम पानी के साथ लिया जाए तो पेट में रुकी हुई अपान वायु झट से बाहर निकल जाती है और पेट के तनाव को खत्म करती है।
हींग एक अच्छा पाचक द्रव्य है। इसलिए हिंग्वाष्टक के उपयोग से भोजन शीघ्र पचता है। जिनको अपच की बीमारी है उन्हें अवश्य ही हिंग्वाष्टक का उपयोग करना चाहिए।
जिन्हें कब्ज रहती हो और पेट के कीड़ों से परेशान हो, उन्हें भी हिंग्वाष्टक से चमत्कारिक लाभ होता है — यह परखा हुआ नुस्खा है।
जिनकी आंतें कमजोर हों अर्थात भोजन करते ही मल त्यागने जाना पड़ता हो, उन्हें हिंग्वाष्टक चूर्ण में जावित्री, जायफल और कपूर थोड़ा-थोड़ा मिलाकर खाना चाहिए। अवश्य ही लाभ मिलेगा।
मन्दाग्नि, अपच, भूख की कमी, गैस ट्रबल आदि की स्थिति हो तो इस चूर्ण का सेवन दूसरी विधि के अनुसार घी के साथ भोजन के शुरू में करने से ये सभी शिकायतें दूर हो जाती हैं।
इस चूर्ण के सेवन से पाचन प्रणाली सुधरती है, भूख खुलकर लगती है। यह चूर्ण श्रेष्ठ पाचक और दीपक है यानी खाना पचाता भी है और जठराग्नि को बल भी देता है।
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