आयुर्वेद बेहद प्राचीन चिकित्सा प्रणाली है जो मनुष्य को प्राकृतिक साधनों के माध्यम से स्वस्थ और निरोग रखने पर जोर देती है। आयुर्वेद में भोजन, योग और व्यायाम को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है।
आयुर्वेद के अनुसार भोजन से जुड़ी एक अहम बीमारी है अरुचि (भूख ना लगना)। यह एक ऐसा रोग है, जिसमें व्यक्ति की खाने-पीने की इच्छा समाप्त हो जाती है। भूख ना लगना अकसर कई रोगों के लक्षण भी माना जाता हैं। कमजोर पाचन तंत्र , पीलिया, तनाव, अनिद्रा आदि बिमारियों में भी मनुष्य को भूख लगना बंद हो जाती है। बच्चों के ग्रोथ ईयर्स में भी यह बीमारी आम होती है।
अरुचि या भूख ना लगने के आयुर्वेदिक उपाय
भोजन से आधे घंटे पहले अदरक की चटनी बनाकर उसमें थोड़ा सैंधा नमक मिलाकर खाने से भूख ना लगने की बीमारी समाप्त हो जाती है।
काली मिर्च, आधा चम्मच भुना जीरा, एक चम्मच सिका हुआ हींग, चने की दाल, अनारदाना 70 ग्राम और सैंधा नमक स्वादनुसार मिलाकर पीस लें। खाने से पहले आधा चम्मच यह चूर्ण खाने से भूख ना लगने की शिकायत दूर होती है।
भोजन के साथ मुलायम मूली पर नमक एवं काली मिर्च का चूर्ण डालकर खाने से भी अरुचि नष्ट हो जाती है।
धनिया, छोटी इलायची और काली मिर्च को समान मात्रा में पीसकर उसमें चौथाई चम्मच घी और चीनी मिला लें। इसके बाद इस मिश्रण को भोजन से पहले खाये। इससे अरुचि नष्ट हो जाती है।
अजवायन में काला नमक स्वादनुसार मिलाकर पीस ले तथा गरम पानी से आधा चम्मच इस चूर्ण को ले। इस चूर्ण को लेने से अरुचि नष्ट हो जाती है।
भोजन के साथ नींबू, नमक एवं काली मिर्च खाने से अरुचि नष्ट हो जाती है।
एक गिलास पानी में 3 ग्राम पुदीना, स्वादनुसार जीरा, हींग, काली मिर्च, नमक डालकर गरम करके पीने पर भी अरुचि में लाभ होता है।