भारतवर्ष में वर्षों से योग किया जा रहा है। योग करने से न सिर्फ शरीर स्वास्थ्य होता है, बल्कि मन भी शांत रहता है। हालांकि, इन दिनों योग करने के कई तरीके प्रचलित हो चुके हैं, लेकिन सभी का उद्देश्य स्वस्थ तन और मन से है। जिस तरह आजकल हमारा जीवन अति व्यस्त और विभिन्न कठिनाइयों से भरा हुआ है, उसके मद्देनजर योग का महत्व और बढ़ जाता है। हमारी एक गलती कई तरह की शारीरिक परेशानियों को जन्म दे देती है और थायराइड भी उन्हीं में से एक है। इन दिनों जिसे देखो, उसे थायराइड है।
थायराइड कोई रोग न होकर गर्दन में पाई जाने वाली एक ग्रंथि का नाम है। यह ग्रंथि शरीर में मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करती है। हम जो कुछ भी खाते हैं, यह ग्रंथि उसे ऊर्जा में बदलने का काम करती है। साथ ही ह्रदय, हड्डियों, मांसपेशियों व कोलेस्ट्रोल को भी नियंत्रित करती है। इसके अलावा, यह ग्रंथि दो तरह के हार्मोन का भी निर्माण करती है। एक है टी3 यानी ट्राईआयोडोथायरोनिन और दूसरा टी4 यानी थायरॉक्सिन है। जब ये दोनों हार्मोन असंतुलित हो जाते हैं, तो वजन बढ़ने या कम होने लगता है, जिसे आम बोलचाल में थायराइड कहा जाता है। तो आइये जानते हैं कुछ ऐसे योगासन के बारे में जिनसे थायरायड को दूर किया जा सकता हैं।
सर्वांगासन : यह तीन शब्दों से बना है। ‘सर्व’ का अर्थ सभी, ‘अंग’ का शरीर और ‘आसन’ का अर्थ मुद्रा से है। नाम के अनुसार ही इस योगासन के फायदे भी अनके हैं। यह कंधों के सहारे किया जाने वाला योग है। इसे करते हुए पूरे शरीर का भार कंधों पर आता है और इससे पूरे शरीर पर सकारात्मक असर पड़ता है। यह आसन करते समय गर्दन व कंधों पर खिंचाव महसूस होता है, जिससे ये मजबूत होते हैं और कमर में लचीलापन आता है। सर्वांगासन करने से थायराइड व हाइपोथेलेमस ग्रंथियों को फिर से सक्रिय व क्रियाशील करने में मदद मिलती है। साथ ही हार्मोंस संतुलित होते है, जिससे थायराइड की समस्या काफी हद तक कम हो सकती है। इस आसन को करने से पाचन तंत्र भी ठीक से काम कर पाता है और मानसिक तनाव भी कम होता है। इसे ‘योगासन की रानी’ भी कहा जाता है।
मत्स्यासन : जैसा कि नाम से पता चलता है कि इसे करते समय शरीर मछली के आकार का हो जाता है। सर्वांगासन की तरह इस योग के भी कई लाभ हैं। इसे करने से कमर दर्द कम होता है, गर्दन से जुड़ी समस्या दूर होती है, पेट की चर्बी कम होती है और सबसे अहम बात, यह थायराइड में रामबाण की तरह काम करता है। इससे गर्दन, छाती व कंधों में खिंचाव महसूस होता है, जिससे इस हिस्से की मांसपेशियां से तनाव कम होता है। साथ ही सांस व फेफड़े से जुड़े रोग भी कम होते हैं। अगर आपको कब्ज की समस्या है, तो वो भी इससे ठीक हो सकती है। यह योग करने से पीठ के ऊपरी हिस्से में आराम मिलता है और रीढ़ की हड्डी में लचीलापन आता है। जिन्हें घुटनों व पीठ में दर्द रहता है, उन्हें भी इससे आराम मिल सकता है। यह योग आंखों के लिए भी अच्छा है।
हलासन : जिन्हें मधुमेह, मोटापा व थायराइड की शिकायत है, उन्हें हलासन जरूर करना चाहिए। यह आसन करते समय शरीर की मुद्रा खेत में जोते जाने वाले हल की तरह हो जाती है, इसलिए इसे हलासन कहा जाता है। बेशक, इसे करना आसान नहीं है, लेकिन इसके फायदे अनके हैं। यह मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित कर बढ़ते वजन को कम करने में सक्षम है। गले की बीमारी, सिरदर्द और बवासीर की शिकायत में भी इस आसन को करने से फायदा मिलता है। इससे कब्ज जैसी समस्या भी ठीक हो सकती है। जब हम यह आसन करते हैं, तो रक्त का प्रवाह सिर में ज्यादा होने लगता है। इस कारण बालों को पर्याप्त मात्रा में खनिज तत्व मिलते हैं और बालों का झड़ना कम होने लगता है। यह आसन करना आसान नहीं है, इसलिए किसी प्रशिक्षक की देखरेख में ही इसे करें
उष्ट्रासन : उष्ट्र और आसन शब्दों को मिलाकर इसका नाम उष्ट्रासन पड़ा है। उष्ट्र का अर्थ होता है ऊंट। जब हम यह आसन करते हैं, तो हमारी मुद्रा लगभग ऊंट जैसी होती है, इसलिए इसे उष्ट्रासन कहा जाता है। इसे करने से सभी तरह के शारीरिक विकार व क्रोध कम होते हैं। जब हम यह आसन करते हैं, तो गर्दन पर खिंचाव महसूस होता है, जिस कारण यह थायराइड में लाभदायक होता है। इसके अलावा, पेट से चर्बी कम करने, पाचन तंत्र को बेहतर बनाने और डायबिटीज को भी नियंत्रित करने में सहायक है। अगर किसी को स्लिप डिस्की की समस्या है या फिर फेफड़ों से संबंधित कोई बीमारी है, तो उष्ट्रासन करने से इन समस्याओं से आराम मिलता है।
धनुरासन : जहां अभी तक हमने कमर के बल लेटकर या फिर पीठ के बल झुकने वाले आसन बताए, वहीं यह आसन पेट के बल लेटकर किया जाता है। इसे करने से शरीर धनुष के समान लगाता है, इसलिए इसका नाम धनुरासन पड़ा है। इसे करने से थायराइड ग्रंथियां उत्तेजित होती हैं, जिससे हार्मोंस बेहतर तरीके से काम कर पाते हैं। इसलिए, यह योगासन थायराइड के मरीजों के लिए सबसे उपयुक्त है। इसके अलावा, यह योग मोटापे, डायबिटीज व कमर दर्द से जूझ रहे लोगों के लिए रामबाण की तरह काम करता है। जिन्हें कब्ज रहती है या फिर जिनकी नाभी अपनी जगह से बार-बार हिल जाती है, उन्हें भी यह आसन जरूर करना चाहिए। इस आसन को करते समय सीने में खिंचाव महसूस होता है और फेफड़े अच्छी तरह काम कर पाते हैं। इसलिए, यह अस्थमा के मरीजों के लिए लाभदायक है।
उज्जायी प्राणायाम : जिन्हें थायराइड है, उन्हें उज्जायी प्राणायाम जरूर करना चाहिए। इस आसन को करते समय गर्दन में मौजूद थायराइड ग्रंथियों में कंपन होता है, जिससे यह ग्रंथियां ठीक से काम करती हैं। इसके अलावा, यह आसन करने से चेहरे पर बढ़ती उम्र का असर नजर नहीं आता। इसे करने से मस्तिष्क की गर्मी दूर होती है और ठंडक का अहसास होता है। साथ ही पाचन क्षमता में भी सुधार होता है। अगर आपको लीवर से जुड़ी कोई परेशानी या फिर खांसी और बुखार है, तो उज्जायी प्राणायाम करने से फायदा होता है। इतना ही नहीं यह आसन करने से शरीर में ऊर्जा का संचार होता है। अगर कोई बच्चा तुतलाता है, तो वह भी यह आसन कर सकता हैं। वहीं, जिन्हें सोते हुए खर्राटे लेने की आदत है, वो भी उज्जायी प्राणायम जरूर करें।
कपालभाति : यह तो सभी जानते हैं कि हर बीमारी की जड़ पेट में होती है। अगर पेट खराब है, तो किसी भी तरह की बीमारी हो सकती है। थायराइड भी उन्हीं में से एक है। ऐसे में पेट को ठीक करने के लिए कपालभाति सबसे अच्छा प्राणायाम है। अगर इसे नियम से प्रतिदिन किया जाए, तो जल्द ही अच्छे परिणाम नजर आने लगते हैं। कपालभाति से न सिर्फ थायराइड से मुक्ति मिलती है, बल्कि पाचन तंत्र अच्छा होता है, कब्ज, गैस व एसिडिटी जैसी समस्या जड़ से खत्म हो जाती है। इसके अलावा, फेफड़े व किडनी अच्छे से काम करते हैं, स्मरण शक्ति तेज होती है, बालों का झड़ना कम हो जाता है। साथ ही वजन नियंत्रित होता है, अस्थमा से राहत मिलती है और चेहरे पर निखार नजर आने लगता है।
जानुशीर्षासन : इस योगासन का नाम दो शब्दों जानु यानी घुटना और शीर्ष यानी सिर के संयोग से बना है। इसे करने से कंधे पेट, कमर, कूल्हों और घुटनो में खिंचाव महसूस होता है और लचीलापन आता है। इस लिहाज से यह थायराइड के लिए उपयुक्त योगासन है। इसे करने से शरीर में हार्मोंस का प्रभाव नियमित हो जाता है, जिस कारण थायराइड से राहत मिलती है। इसके अलावा, यह योग पाचन तंत्र में भी सुधार करता है और थकान, मानसिक तनाव व सिरदर्द से राहत देकर दिमाग को शांत करता है। इस योगासन के नियमित अभ्यास से महिलाओं को मासिक धर्म की समस्याओं से आराम मिलता है।
शवासन : इसे शवासन इसलिए कहते हैं, क्योंकि इसे करते समय शरीर मृत व्यक्ति के समान होता है। सभी प्रकार के योगासन करने के बाद इसे अंत में किया जाता है। शरीर को आराम देने और मन को शांत व एकाग्र करने के लिए यह आसन सबसे उपयुक्त है। इससे शरीर के सभी हार्मोंस अच्छी तरह काम करते हैं, दिमाग शांत होता है, याददाश्त बेहतर होती है, सभी मांसपेशियों को आराम मिलता है और रक्तचाप नियंत्रित होता है। बेशक, यह आसन देखने में आसान लगता है, लेकिन करना थोड़ा मुश्किल भरा है।