भारतीय समाज में गाय की प्राचीनकाल से ही पूजा की जाती है। हम यह तो जानते है कि गाय का दूध हमारे स्वास्थ्य के लिए कितना फायदेमंद है। लेकिन क्या है जानते है कि गाय के दूध से भी दोगुना फायदेमंद गाय का घी होता है।गाय के घी में बहुत सी गंभीर बीमारियों को दूर करने की क्षमता होती है। वैज्ञानिक शोध से भी यह साबित हो चुका है कि गाय के घी में मौजूद तत्व हमारे स्वास्थ्य में अच्छा प्रभाव डालते है। आइये जानते है गाय के घी के स्वास्थ्य लाभ –
गाय का घी नाक में डालने से पागलपन दूर होता है।
गाय का घी नाक में डालने से एलर्जी खत्म हो जाती है।
गाय का घी नाक में डालने से लकवा का रोग में भी उपचार होता है।
गाय का घी (20-25 ग्राम) व मिश्री खिलाने से शराब, भांग व गांझे का नशा कम हो जाता है।
गाय का घी नाक में डालने से कान का पर्दा बिना ओपरेशन के ही ठीक हो जाता है।
नाक में घी डालने से नाक की खुश्की दूर होती है और दिमाग तरोताजा हो जाताहै।
गाय के घी को नाक में डालने से मानसिक शांति मिलती है, याददाश्त तेज होती है।
हाथ पाव मे जलन होने पर गाय के घी को तलवो में मालिश करें जलन ठीक होता है।
हिचकी के न रुकने पर खाली गाय का आधा चम्मच घी खाए, हिचकी स्वयं रुक जाएगी।
गाय के घी का नियमित सेवन करने से एसिडिटी व कब्ज की शिकायत कम हो जाती है।
देसी गाय के घी में कैंसर से लड़ने की अचूक क्षमता होती है। इसके सेवन से स्तन तथा आंत के खतरनाक कैंसर से बचा जा सकता है।
घी, छिलका सहित पिसा हुआ काला चना और पिसी शक्कर (बूरा) तीनों को समान मात्रा में मिलाकर लड्डू बाँध लें। प्रातः खाली पेट एक लड्डू खूब चबा-चबाकर खाते हुए एक गिलास मीठा गुनगुना दूध घूँट-घूँट करके
पीने से स्त्रियों के प्रदर रोग में आराम होता है, पुरुषों का शरीर मोटा ताजा यानी सुडौल और बलवान बनता है।
सिर दर्द होने पर शरीर में गर्मी लगती हो, तो गाय के घी की पैरों के तलवे पर मालिश करे, सर दर्द ठीक हो जायेगा।
गाय के घी के सेवन से कॉलेस्ट्रॉल नहीं बढ़ता है। वजन भी नही बढ़ता, बल्कि वजन को संतुलित करता है ।यानी के कमजोर व्यक्ति का वजन बढ़ता है, मोटे व्यक्ति का मोटापा (वजन) कम होता है।
एक चम्मच गाय का शुद्ध घी में एक चम्मच बूरा और 1/4 चम्मच पिसी काली मिर्च इन तीनों को मिलाकर सुबह खाली पेट और रात को सोते समय चाट कर ऊपर से गर्म मीठा दूध पीने से आँखों की ज्योति बढ़ती है।
गाय के घी को ठन्डे जल में फेंट ले और फिर घी को पानी से अलग कर ले यह प्रक्रिया लगभग सौ बार करे और इसमें थोड़ा सा कपूर डालकर मिला दें। इस विधि द्वारा प्राप्त घी एक असर कारक औषधि में परिवर्तित हो जाता है जिसे त्वचा सम्बन्धी हर चर्म रोगों में चमत्कारिक रूप से लाभ मिलता हैं।