कुष्ठ ( Leprosy ) रोग के असरकारी आयुर्वेदिक उपचार

कुष्ठ रोग यानि जिसे कोढ भी कहा जाता है। यह किसी तरह का खानदानी रोग नहीं होता है। यह किसी को भी हो सकता है। इस रोग में रोगी न केवल शारीरक बल्कि मानसिक रूप से भी प्रभावित होता है। कुष्ठ रोगियों को देखकर जो दुसरे रोगियों का रवैया होता है उसे देख कर वो निराश हो जाता है यह रोग शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है। जिस हिस्से पर भी इसका प्रभाव पड़ता है। वहां की त्वचा में संकरी सी नजर आने लगती है और वो हिस्सा सामान्य रूप से काम नहीं कर पाता।
कुष्ठ रोग दो तरह का होता है। असंक्रामक और संक्रामक। इस बीमारी में रोग से ग्रसित अंग सुन्न हो जाता है जिस वजह से रोगी को सर्दी व गर्मी का एहसास नहीं होता है। साथ ही इस रोग में गले, नाक और त्वचा से कोढ़ के कीटाणु बनकर निकलते रहते हैं। इंसान को पांव में चुभने वाली कील व कांच का लगने तक का एहसास नहीं होता है।
टीबी यानि कि क्षय रोग और कोढ के कीटाणु एक दूसरे से मिलत जुलते होते हैं। यही वजह होती है कि कोढ यानि कुष्ठ रोग से ग्रसित इंसान को टीबी की बीमारी भी होती है। अगर आप कुछ घरेलू उपाय करते हो तो इससे आसानी से छुटकारा पा सकते हो आइये जानते हैं कुष्ठ रोग के आयुर्वेदिक उपचार के बारे में-

आयुर्वेद में कोढ का उपचार है लेकिन यह तभी काम करता है जब आप लंबे समय तक इनबाताए जार हे आयुवेर्दिक उपायों को करते रहें।आइये जानते हैं क्या है कुष्ठ रोग का उपचार।

आंवले का प्रयोग : आंवले को सुखाकर उसे पीसकर आप उसका चूर्ण बना लें और रोज आंवले के चूर्ण की एक फाकी को पानी के साथ दिन में दो बार सेवन करने से कुछ ही महीनों में कुष्ठ रोग ठीक हो सकताहै।

तुवरक चाल मोगरा तेल का प्रयोग : तुवरक चाल मोगरा तेल और नीम का तेल दोनों को बराबर मात्रा में मिलाकर कोढ से ग्रसित अंग पर नियमित कुछ दिनों तक लगाते रहने से कुष्ठ रोग ठीक हो जाता है।तुवरक चाल मोगरा तेल आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके मंगवा सकते हैं

https://kamdhenulaboratories.com/product/tuvark-chalmogra-taila-50ml/

शंखध्वनि : शंख ध्वनि में बहुत ताकत होती है।कोढ या कुष्ठ रोग से ग्रसित इंसान को रोज शंख ध्वनि सुननी चाहिए।इससे कोढ के जीवाणु खत्म हो जाते हैं।

चने का सेवन : चनों में मौजूद गुण कुष्ठ रोग को खत्म कर देते हैं। इसके लिए आप तरह तरह से चनों का सेवन करें। पानी में उबले हुए चनों को खाते रहने से कुष्ठ रोग ठीक हो सकता है।
चने के आटे की रोटी का सेवन करना भी कोढ़ से निजात दे सकता है।
उबले हुए चनों का पानी पीते रहने से भी कोढ़ की समस्या ठीक हो जाती है।
अंकुरित चनों को लंबे समय तक खाते रहने से कुष्ठ रोग से राहत मिलती है।

तुलसी के पत्ते का प्रयोग : तुलसी के दस से पंद्राह पत्तों को चबाते रहने से भी कुष्ठ रोग ठीक हो जाता है।
इसके अलावा आप तुलसी के पानी को कोढ से ग्रसित अंग के उपर लगाते रहने से कोढ के कीटाणु बढ़ना बंद हो जाते हैं।

अनार के पत्ते : अनार के पत्ते कुष्ठ रोग में फायदे मंद होते हैं।अनार के पत्तों को पीसकर उसका लेप बना लेंऔर इस लेप को कोढ से ग्रसित घावों पर लगा ते रहने से कोढ़ के घाव ठीक होने लगते हैं।

जमीकन्द : नियमित कुछ दिनों तक जमीकन्द की बनी सब्जी का सेवन करते रहने से कोढ या कुष्ठ रोग कुछ ही दिनों में ठीक होने लगता है।लंबे समय तक जमीकन्द की सब्जी खाने से ज्यादा आप में अच्छा असर नजर आएगा।

फूल गोभी की सब्जी : लंबे समय तक रोज फूल गोभी से बनी सब्जी का सेवन करते रहने से कुष्ठ, चर्म रोग व खुजली आदि की समस्या ठीक हो जाती है।

बथुआ : बथुआ साक खाने से कुष्ठ रोग कुछ ही समय में खत्म हो जाता है।इसके अलावा बथुआ का उबला हुआ पानी पीते रहने कोढ की बीमारी पूरी तरह से ठीक हो सकती है।

हल्दी : पिसी हुई हल्दी एक चम्मच की मात्रा में सुबह शाम फंकी लेने से कुष्ठ रोग जल्दी ठीक होता है।इसके अलावा हल्दी गांठ को पीसकर उस का लेप बनालें और फिर उस लेप का कुष्ठ से प्रभावित जगह पर लगाने से बहुत ही जल्दी इस बीमारी से निजात मिलता है।

नीम का प्रयोग : कुष्ठ रोग से ग्रसित इंसानों को नीम के पेड़ के नीच बैठना चाहिए और इसके अलाव नीम के तेल से अपने शरीर की मालिश रोज और लंबे समय तक करते रहें।
नीम की पत्तियों का रस बनाकर उसकी तीन से चार चम्मच सुबह व शाम दो बार सेवन करें। इस उपाय को भी लंबे समय तक करें। तभी आपको कोढ से निजात मिल सकता है।
नीम की पत्तियों से बने हुए बिस्तर पर भी रोगी को आराम करना चाहिए। नीम की पत्तियों से स्नान व नीम की दातुन से दांत भी साफ करें। इससे आपको कुष्ठ रोग में फायदा मिलता है।

बथुआ का प्रयोग : बथुआ के कुछ कच्चे पत्तों को लें और उन्हें पीसकर उसका रस निकालें इस का रस कम से कम दो कप होना चाहिए।इस रस में आधा कप तिलों का तेल मिलालें और हल्की आंच पर गरम कर लें और बाद में इसे अच्छे से छान लें फिर इसे किसी कांच की बोतल में भरकर रखलें ।नियमित इस तेल से कुष्ठ रोग से ग्रसित अंगों पर इसकी मालिश करते रहें।लंबे समय तक इस उपाय को करने से आपको कुष्ठ रोग से निजात मिलता है।

 

kamdhenu_care

all author posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are makes.