अ–शोक यानि कोई शोक नहीं। संस्कृत में अशोक का अर्थ होता है जो शोक या दुख नहीं दे और यह अर्थ अशोक के पेड़ के औषधीय गुणों से प्रमाणित हो चुका है। भारतीय संस्कृति और परंपरा में यह एक पवित्र वृक्ष माना गया।
अशोक के पत्ते और फूल काफी सुंदर और आकर्षक होते हैं। फूल पहले पीले और पकने के बाद एकदम सुर्ख लाल हो जाते हैं। यही वजह है कि अशोक के पेड़ को प्रेम को प्रतीक भी कहा गया है। प्रेम के ईश्वर भगवान कामदेव को अशोक के फूल काफी पसंद थे और उन्होंने प्रेम और काम के लिए जिन पांच फूलों की चर्चा की है उसमें अशोक के फूल भी शामिल हैं।
आयुर्वेदिक चिकित्सा में अशोक के पत्ते, छाल का सबसे ज्यादा महत्व है। अशोक के पत्ते और छाल से स्त्री रोग की सबसे ज्यादा दवाईयां बनती हैं। चरक संहिता में अशोक से बनी दवाईयों को गर्भाशय की बीमारी, स्त्री रोग और दर्द में खाने की सिफारिश की गई है। पेशाब में जलन, पेशाब के रास्ते में दर्द, पेशाब के रास्ते से खून आना, पेशाब में पथरी, गर्भाशय में ब्लीडिंग, गर्भाशय में दर्द, माहवारी में गड़बड़ी, ल्यूकोरिया समेत स्त्रियों के कई सारे रोगों के इलाज में अशोक के पत्ते और छाल से बनी दवाइयां रामबाण की तरह काम करती हैं।
इसके अलावा बवासीर, डायबिटीज, डिस्पेशिया, अपच, खून में गड़बड़ी, चोट, ट्यूमर, सूजन, अल्सर, जहरीले कीड़ों के काटने समेत त्वचा संबधी कई तरह की बीमारियों में अशोक के पेड़ से बनी दवाईयां काफी असरदार होती हैं।
अशोक के पेड़ की सूखी छाल में टेनिन स्टीरोल केटेकोल और कई ऑर्गेनिक कैल्शियम कंपाउड होते हैं। छाल में एल्यूमुनियम, स्ट्रोनियम, कैल्शियम, आइरन, मैग्नीशियम, फॉस्फेट, पोटैशियम, सोडियम और सिलिका भी पाई जाती है।
अशोक के पेड़ के औषधीय लाभ
स्त्री रोग – स्त्री की माहवारी में हुई गड़बड़ी जैसे ज्यादा ब्लीडिंग और दर्द में अशोक के पत्ते और छाल से बनी दवा काफी असरदार होती है। पेट के दर्द, मासिक धर्म के दौरान होने वाले दर्द और गर्भाशय में ऐंठन समेत स्त्री के सभी रोगों में अशोक के पत्ते और छाल से बनी दवाइयां काफी फायदेमंद होती है। अशोकारिष्ट स्त्री रोग के इलाज के लिए काफी प्रचलित दवा है। यह गर्भाशय की बिमारियों के लिए टॉनिक है। गर्भपात और अनियमित माहवारी से हुई परेशानी में यह काफी असरदार है। आयुर्वेद में ल्यूकोरिया, सिस्ट और कफ के लिए अशोका के पत्ते और छाल से बनी दवाओं को नियमित रुप से सेवन करने की सलाह दी गई है।
ब्लड सर्कुलेशन सिस्टम – अशोक से बनी दवाइयों के सेवन से ब्लड सर्कुलेशन सिस्टम या रक्त परिसंचरण तंत्र ठीक रहता है और इससे दिल की बीमारियों का खतरा कम रहता है। इससे हार्ट की मांसपेशियां भी मजबूत रहती है।
किडनी और पेशाब संबधी रोग – अशोका के पत्तों और छाल से बनी दवाइयों के सेवन से पेशाब संबधी रोग दूर होते हैं। खासकर पेशाब करने के दौरान दर्द, और पेशाब के रास्ते में पथरी होने पर इससे बनी दवाई काफी फायदेमंद होती है। इसके सेवन से किडनी भी ठीक से काम करती है।
पेचिश – अशोक के फूल से निकली रस पेचिश और शूल की अचूक दवा है। खासकर अगर पाखाने के साथ खून, आंव और पोटा आ रही है तो अशोक के फूल से निकले रस के सेवन से यह हमेशा के लिए ठीक हो जाती है।
बवासीर – बवासीर के लिए अशोक के छाल से बनी दवा रामबाण की तरह काम करती है। यह दवा बनाने के लिए 100 ग्राम छाल से बने पाउडर, आधा लीटर पानी और 50 एमएल दूध चाहिए। तीनों को मिला कर तब तक उबालें जब तक कि घोल 100 ग्राम के आसपास बच जाए। रोजाना तीन बार इसके सेवन से बवासीर खत्म हो जाती है।
दर्द – अशोक के पत्ते और छाल के अर्क में दर्द निवारक गुण होता है। छाल को पीस कर लेप लगाने से चोट और किसी भी तरह के दर्द में आराम मिलती है।
त्वचा संबधी समस्या – अशोक के पत्ते और छाल से बने पेस्ट या जूस लगाने से त्वचा में रौनक आती है। अगर स्किन में जलन हो तो भी इसे आजमाएं, काफी ठंढक मिलेगी। यह शरीर से विषैले पदार्थों (Toxins) को बाहर निकालती है और खून को साफ करती है। स्किन एलर्जी में भी यह काम करती है।